प्रेम एक धुंधलापन एकरहस्य
योग  चिन्मय! प्रेम तो धुंधला होगा ही, क्योंकि प्रेम रहस्य है। वासना स्पष्ट होगी और प्रार्थना भी स्पष्ट होगी। प्रेम तो दोनों का मध्य है। प्रेम तो तरल अवस्था है। न तो प्रेम वासना है और न प्रेम प्रार्थना है, प्रेम दोनों के मध्य की कड़ी है; संक्रमण का काल है। संक्रमण का काल तो धुंधला होगा ही, अनिवार्यत…
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शिवलिंग का प्रतीक
शिव की जगह-जगह पूजा हो रही है, लेकिन पूजा की बात नहीं है। शिवत्व उपलब्धि की बात है। वह जो शिवलिंग तुमने देखा है बाहर मंदिरों में, वृक्षों के नीचे, तुमने कभी ख्याल नहीं 1 किया, उसका आकार ज्योति का आकार है। जैसे दीये की ज्योति का आकार होता है। शिवलिंग अंतर्योति का प्रतीक है। जब तुम्हारे भीतर का दीया …
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प्रेम एक खुला आकाश
इसलिए तो बहुत बार मुझे ऐसा लगता है। 5 कि ध्यान से भी गहन है प्रेम; क्योंकि ध्यान तो तुम शुरू करते हो, कुछ तुम करते हो। ऐसे भी ध्यान हैं जिन्हें तुम शुरू नहीं करते, अगर तुम्हारी समझ हो तो तुम उन्हें पहचान लोगे। लेकिन वैसे ध्यान तुम प्रेम के बिना। न पहचान पाओगे। एक बार तुमने अपने को न । 'बह जाने …
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प्रेम का स्वर एक है।
जब तुम किसी के प्रेम में उतर जाते हो-वह कोई भी हो, मित्र हो, मां हो, पति हो, पत्नी हो, प्रेयसी हो, प्रेमी हो, बच्चा हो, बेटा हो, तुम्हारी गाय हो, तुम्हारे बगीचे में खड़ा हुआ वृक्ष हो, तुम्हारे द्वार पास पड़ी एक चट्टान हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भी हो-जहां भी प्रेम की रोशनी पड़ती है, उस प्रेम…
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ध्यान और प्रेम की मशाल
आज अपने ग्रह पृथ्वी पर परमाणु बमों एवं रासायनिक हथियारों का जो हुजूम है, उससे यही लगता है कि पूरी पृथ्वी पर एक सामूहिक आत्मघात होने वाला है। लाखों वर्षों के पश्चात आज इस ग्रह के कुछ प्राणी एक और चेतना के उस शिखर पर पहुंचे हैं, जहां विज्ञान, कला, साहित्य और आध्यात्म के विकास से व्यक्ति ने जीवन की ऊ…
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